मेरे घनश्याम
मुरली बजा के सबको लुभा के चले आओ प्रभु घनश्याम
आओ आओ ओ मेरे घनश्याम
नैना छलकते है मन से तरसते है
अब न सताओ भगवन
हा चले आओ ओ मेरे घनश्याम। ……
रास रचाते हो , माखन चुराते हो ढूंढें जो तुमको तो झट छुप जाते हो
गोकुल की गलियों की शान चले आओ क्रिशन भगवान् १
कंस से मामा को स्वर्ग दिखाते हो अर्जुन सखा बनके रथ भी चलते हो
देते हो गीता का ज्ञान चले आओ सखा घनश्याम। .... २
कही गोपियाँ के कपडे चुराते हो ,कही अबलाओ की लाज बचाते हो
तुमसे हमारा भी है मान एक बार दरस दो हे राम। ।