shri शिव मंगल सिंह सुमन जी द्वारा रचित कविता अत्यधिक प्रेरणा दाई है......
वरदान मांगूंगा नही .....
यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूंगा पर दया की भीख मै लूँगा नहीं ,
वरदान मागुंगा नहीं |
स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खन्दहारो के लिए
यह जन लो मै विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं ,
वरदान मांगूंगा नहीं |
क्या हर में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मै
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वोह भी सही ,
वरदान मांगूंगा नहीं |
लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने ह्रदय की वेदना मै ब्यर्थ त्यागूँगा नहीं ,
वरदान मांगूंगा नहीं |
चाहे ह्रदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ करो कर्तब्य पथ से किन्तु भागूँगा नहीं ,
वरदान मांगूंगा नहीं |
वरदान मांगूंगा नही .....
यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूंगा पर दया की भीख मै लूँगा नहीं ,
वरदान मागुंगा नहीं |
स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खन्दहारो के लिए
यह जन लो मै विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं ,
वरदान मांगूंगा नहीं |
क्या हर में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मै
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वोह भी सही ,
वरदान मांगूंगा नहीं |
लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने ह्रदय की वेदना मै ब्यर्थ त्यागूँगा नहीं ,
वरदान मांगूंगा नहीं |
चाहे ह्रदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ करो कर्तब्य पथ से किन्तु भागूँगा नहीं ,
वरदान मांगूंगा नहीं |