शनिवार, 24 अप्रैल 2010

मैं भी चाहूँ देश के कुछ काम आना

मैं भी चाहूँ देश के  कुछ काम आना
पर लगे के हर कदम रोके ज़माना   

जिस तरह वीरों ने प्राणों की बलि दी
मर मिटूँ मैं भी यही दिल से लगे की
मैं भी बन जाऊ उन सा किस्सा पुराना
मेरे प्यारों याद कर फिर से जिलाना
मैं भी चाहूँ..............

याद आते हैं भगत,ज़स्वंत,विश्मिल 
चंद्रशेखर और मंगल जी गले मिल
 चढ गये सूली पे बस गाके तराना
मेरे यारों मा के आंचल को बचाना
मैं भी चाहूँ..............

ओ मेरे प्‍यारे वतन के लाडलों
देश भक्ति का वही जज्‍बा मुझे दो
तुम गये आया वही फिर से जमाना
देश का दुश्‍मन नहीं है वो पुराना
मैं भी चाहूँ..............

लूट के धन शक्ति की पहने है माला
और कहते हैं के ये है मेरी माया
देश की बनके बहन लूटे इसी को
और पूंछे क्‍या दिया है इसने हमको
अब न चल पायेगा इनका ये बहाना
देश की इज्‍जत बचाने को है ठाना
चाहिये बस कोर्इ इक साथी पुराना
जो मिलाये स्‍वर से स्‍वर गाये ये गाना

मैं भी चाहूँ..............

गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

Neta.


Hi...Shri Ram chandra ji ne Ravan se uddha karne k pahele jis taraha apni senaka shahas badhaya,aaj koi assa nahi jo paak k khilaph hamari sena ka shahas badha sake.Aaj to apni hi sena ko hutotsahit kar rahe hai kasa durbhagya hai hamara.Ab in netawo se Shri Ran ji hi bacha sakte hai.
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी