हर कण हर अणु में बसे , नारायण जगदीश
आओ हम सब मिल कर के , उन्हें नवायें शीश
हे नारायण जब धरती पर था पाप बढ़ा तो प्रभु आये
जीवो में कष्ट ,द्वेष और दुःख ,संताप बढ़ा तो प्रभु आये
हर युग में रूप नया धरे , हर बार धरा को प्रभु तारे
थे कभी बने श्री राम चन्द्र , तो कभी बने मोहन प्यारे
नारायण से नर रूप लिए , सरे दुष्टो को संहारे
जब-जब भक्तो ने याद किया , पतवार बचाने प्रभु आये
हे नारायण ................................
तुमने रावण को संहारा , और दुष्ट कंस को भी मारा
हिरिन्याकश्यप,हिरिन्याक्क्ष और , पापी हयग्रीव को उद्धारा
हर बार नया अवतार किये , आये प्रभु भक्तो के द्वारे
हे क्षीर सिन्धु वासी श्री हरी , हर बार पुकारे तुम आये
हे नारायण ...................................
शबरी भीलनी का जूठन खा , नवधा भक्ति का दान दिया
अर्जुन के मन का क्लेष मिटा , गीता का उनको ज्ञान दिया
उस भरी सभा में द्रुपद सुता की , लाज बचाने प्रभु धाये
हे निराकार पालक जग के साकार रूप में प्रभु आये
हे नारायण .............................
जय श्री सत्य नारायण भगवन आप के चरणों में शत शत नमन है .