मैं भी चाहूँ देश के कुछ काम आना
पर लगे के हर कदम रोके ज़माना
जिस तरह वीरों ने प्राणों की बलि दी
मर मिटूँ मैं भी यही दिल से लगे की
मैं भी बन जाऊ उन सा किस्सा पुराना
मेरे प्यारों याद कर फिर से जिलाना
मैं भी चाहूँ..............
याद आते हैं भगत,ज़स्वंत,विश्मिल
चंद्रशेखर और मंगल जी गले मिल
चढ गये सूली पे बस गाके तराना
मेरे यारों मा के आंचल को बचाना
मैं भी चाहूँ..............
ओ मेरे प्यारे वतन के लाडलों
देश भक्ति का वही जज्बा मुझे दो
तुम गये आया वही फिर से जमाना
देश का दुश्मन नहीं है वो पुराना
मैं भी चाहूँ..............
लूट के धन शक्ति की पहने है माला
और कहते हैं के ये है मेरी माया
देश की बनके बहन लूटे इसी को
और पूंछे क्या दिया है इसने हमको
अब न चल पायेगा इनका ये बहाना
देश की इज्जत बचाने को है ठाना
चाहिये बस कोर्इ इक साथी पुराना
जो मिलाये स्वर से स्वर गाये ये गाना
मैं भी चाहूँ..............
9 टिप्पणियां:
waah kya khoob likha hai
blog jagat me aapka swaagat hai
sundar lekhan ke liye shubhkaamnaayen
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
chittha jagat me swagat hai aapka
bahaut achha likha aapne likhte rahe
khush rahe... aabad rahe
सार्थक प्रस्तुति - हार्दिक शुभकामनाएं
"ओ मेरे प्यारे वतन के लाडलों
देश भक्ति का वही जज्बा मुझे दो
तुम गये आया वही फिर से जमाना
देश का दुश्मन नहीं है वो पुराना"
bahut sundar
desh bhakti kee alakh jalaati badhiya post
aasha hai aage bhi aisi hi ojashvi rachnaayen padhne ko milengi
shubh kamnayen
swagat hai
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
आप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं..........हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं.....बधाई स्वीकार करें.....हमारे ब्लॉग पर आकर अपने विचार प्रस्तुत करें.....|
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