सोमवार, 24 मई 2010
जिंदगी कटती रही इस चाह में....................
मेरे प्यारे ब्लॉगर भाई बहनों मैं मेरी प्यारी आंटी जी की याद कुछ पंक्तिया लिख रही हू! वो बहोत ही स्नेही और सरल ह्रदय की थी पर दुर्भाग्य वस् वो हमें छोड़ कर चली गयी,हमें उन की बहोत याद आती है,यह दुःख दूर होने वाला तो नहीं पर आप सब के साथ अपना दुःख बाटू तो शायद यह कम हो जाये इसी इच्छा से मैं आप के सामने यह गीत लिख रही हूँ ,जो भी गलती हो कृपा कर माफ करे .
जिंदगी कटती रही इस चाह में
दिल से निकली यह दुआ उनके लिए
हों जहाँ खुश हो यही सजदे किये
न मिली फिर से मुझे वो राह में,
जिंदगी कटती रही इस चाह में.
आयें सपनो में ही चाहे वो मेरी ,
पूरी हो जाये दबी इच्छा मेरी.
मैं मिलू उनसे,करू बाते सभी
रोक लूँ उनको न जाने दू कभी.
मैं फ़शी हूँ आज किस अनुराग में,
जिंदगी .................................
कुएँ गयीं वो इस जहाँ को छोड़ कर
मोहे के सारे ही बंधन तोड़ कर,
हम सभी के दिल में यादें छोड़ कर,
अपने अपनों से ही मुख यू मोड़ कर.
मेरा दिल तो डूबता एह्शाश में
जिंदगी .......................................
उनके आँखों में भरी स्नेह ममता
थीं लुटाती प्रेम,आँखों में थी समता.
अब नहीं मिल पाएंगे उनसे कभी हम
सोंच कर इस बात को आँखे हुईं नाम,
जल रहा मन अब भी उनकी याद में,
जिंदगी...............................................
क्या है इच्छा अब तुम्हारी प्रभुवर मेरे,
अब परीक्छा दे न पाएंगे हम तेरे.
क्या उचित है? के सभी अच्छे दुःख भोगे,
दूर हो विस्स्वास,और सब तुमको कोसे
मैं ये सोचु आप की परवाह में
जिंदगी............................................
क्या आप को ही जरूरत है अच्छो की,
माँ धरा को नहीं चाहिए सांगत उनकी .
जन कर सबकुछ बने अंजान स्वामी
आप सुख-दुःख के विधाता अंतर्यामी
माफ कर देना मेरी गलती को प्रभुजी ,
पार कर देना फशी नईया भावर की
आप हो हर दुःख के तारणहार भगवन
जग करे है आप को सतसत नमन.
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