रविवार, 4 जुलाई 2010

यह असामानता क्यों?

नमोनमा प्यारे भाई  बहनों .मै जानती हूँ की मै बहोत दिनों बाद आप सब की सेवा में लौटी हूँ .उसके लिए मै आप सब से माफी चाहती हूँ .पर क्या सच में आप मुझे  याद किये होंगे ? जब इस महगाई और भागमभाग ने किसी को सोचने तक का वक्त न दिया हो तो ऐसे में कौन  किसे याद करेगा .   अप को पता है इस समय सब से ज्यादा कौन परेशान है समंन्य जनता ,यहाँ समंन्य से मतलब है समंन्य वर्ग के
लोग .जो  हर  तरफ  से पिस  रहे  है, क्यों  की हमारी  सरकार तो केवल  पिछड़े  और नीची  जाती  पर ही  अपना  सारा  प्यार  लुटा  रही  है उसे  इस बात  की गलत  फहमी  है की समंन्य वर्ग के लोग बड़े  धानी और संपन्न  है केवल  कुछ  गिने  लोगो  का उदाहरण  दे  कर  उनके  सारे  अधिकार  छीन  लिया . 
 हमारी सरकार खुद ही एकता का राग अलापे गी और खुद  ही छोटे बड़े ,समंन्य और पिछड़े लोगो में अंतर करती है .जब सरकार देश के सभी लोगो को समान दृष्टी से नहीं देखती तो उसे कोई हक़ नहीं की वो हम से आशा करे की हम संभव और एकता से रहे.अगर असी अपेछा रखनी हो तो पहले खुद यह भेदभाव मिटा कर सब को समान अधिकार दिए  जाये   और यह पहल  सब से पहले शिक्षा   के क्षेत्र  में हो जहा   सभी बच्चो  को सामान  scolarship दिए  जाये.  पढाई  पूरी  करने  के बाद सभी को उनकी  योग्यता  के अनुसार  नौकरिया  दी  जाये  .कहने  का मतलब  है की किसी भी क्षेत्र   में असामान्यता  नहीं होनी  चाहिए  तभी  सभी   मैंने  में एकता और  समभाव हो सकता  है...
आखिर यह असामान्यता क्यों  यह बात विचार करने योग्य है ......................................
                   मै जानती हूँ की मेरे  यह सब कुछ कह  देने  से कुछ बदलने  वाला  नहीं फिर  भी  क्यों  की सब को अपनी  बात कहने  का अधिकार है तो कह  दिया...   .न तो कभी  ऐसा  होगा  और न ही कभी  यह भेदभाव समाप्त  होगा ..
पर मै चाहती   हूँ की आप सब इस पर ध्यान  दे क्यों  की आप देश के भविष्य   हो और आशा है की यदि  कभी  आप उस  लायक  हुए  की समाज  में परिवर्तन  ला  सके  तो सब से पहले यही  दूरी  मिटने  का प्रयत्न  करे...............इश्वर   करे की आप उस लायक जरूर  हो.
                                  धन्न्य्वाद ......जय  हिंद .

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